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कोहरा हर तरफ छाया है कोहरा...आँखें हैं कुछ मजबूर धुंधली सी बादल की एक चादर है कुछ नहीं आता नज़र दूर दूर... बस कुछ थोड़ी सी रोशनी और उसके पर सब ...